रविवार, 3 नवंबर 2024

तुलसी विवाह 2024 की तिथि और समय

तुलसी विवाह 2024 की तिथि और समय

            तुलसी विवाह एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है। इस पर्व को विशेष रूप से भगवान विष्णु और देवी तुलसी के मिलन का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व ग्यारहवें चंद्र दिवस यानी प्रबोधिनी एकादशी से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप और देवी तुलसी का विवाह संपन्न करने की परंपरा है। आइए जानते हैं इस साल तुलसी विवाह कब है, इसका मुहूर्त क्या है, और पूजा विधि क्या है।


तुलसी विवाह 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त

              इस साल तुलसी विवाह 13 नवंबर को मनाया जाएगा। द्वादशी तिथि की शुरुआत 12 नवंबर को शाम 4 बजकर 4 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 13 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार तुलसी विवाह का मुहूर्त 13 नवंबर को रहेगा, और इसी दिन इस शुभ विवाह का आयोजन होगा।

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तुलसी विवाह का महत्व

        तुलसी विवाह का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इसे भगवान विष्णु और तुलसी माता के मिलन का पर्व माना जाता है, जो भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता लाता है। मान्यता है कि तुलसी विवाह करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-शांति का वास होता है। इस दिन उपवास रखने और तुलसी माता की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन के दुख दूर होते हैं और परिवार में खुशहाली आती है।

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 तुलसी विवाह की पूजा विधि

        तुलसी विवाह की पूजा विधि काफी सरल है, लेकिन इसमें खास ध्यान रखना आवश्यक है ताकि हर एक प्रक्रिया विधिवत की जा सके। आइए जानते हैं तुलसी विवाह की पूजा कैसे करें:

1. **उपवास रखना:** तुलसी विवाह के दिन सुबह से ही उपवास रखा जाता है, जिसे विवाह संपन्न होने के बाद खोला जाता है। इस उपवास का महत्व है कि इससे मन और शरीर दोनों शुद्ध होते हैं, जिससे पूजा का पुण्य प्राप्त होता है।

2. **मंडप तैयार करना:** तुलसी विवाह के लिए एक मंडप सजाया जाता है। इसे फूल, साड़ी और रंग-बिरंगी सजावट से सजाया जाता है। मंडप के बीच तुलसी के पौधे को रखा जाता है और भगवान विष्णु की प्रतिमा को मंडप में स्थापित किया जाता है।

3. **तुलसी माता और भगवान विष्णु का स्नान:** मंडप सजाने के बाद तुलसी के पौधे और भगवान विष्णु की मूर्ति को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराया जाता है। इसके बाद उन्हें फूलों की माला पहनाई जाती है।

4. **तुलसी माता का सोलह श्रृंगार:** तुलसी माता को एक दुल्हन की तरह सजाया जाता है। उन्हें साड़ी, बिंदी, चूड़ियां और गहनों से सजाया जाता है। इस दौरान भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप को धोती पहनाई जाती है।

5. **धागा बांधना:** विवाह संपन्न करने के लिए तुलसी माता और भगवान विष्णु को एक धागे से बांधा जाता है। इसे विवाह का प्रतीक माना जाता है, जो दोनों के मिलन को दर्शाता है।

6. **मंत्र और आरती:** पूजा के अंत में तुलसी विवाह की विधिपूर्वक आरती की जाती है और भक्तजन भगवान विष्णु और तुलसी माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसके बाद उपवास खोलने का विधान है।

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 तुलसी विवाह के लाभ

      तुलसी विवाह करने से अनेक लाभ होते हैं, जैसे कि परिवार में शांति और समृद्धि आती है। इसे करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम और सौहार्द बना रहता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति तुलसी विवाह करता है, उसके घर में कभी धन और सुख-समृद्धि की कमी नहीं होती। साथ ही, इसे करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और संतान सुख का भी आशीर्वाद मिलता है।

 तुलसी विवाह का धार्मिक और आध्यात्मिक पक्ष

हिंदू धर्म के अनुसार, तुलसी विवाह न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन को विशेष रूप से इसीलिए मनाया जाता है क्योंकि यह प्रकृति और देवताओं का एक अनोखा संगम है। तुलसी माता को पृथ्वी पर लाने का उद्देश्य यह है कि वे मानव जीवन में शांति और शुभता का संचार करें। वहीं, भगवान विष्णु और तुलसी के विवाह को मानव समाज के लिए प्रेरणादायक माना गया है।https://www.facebook.com/share/p/hMvwjMHe3DGNuhWn/?mibextid=oFDknk

**निष्कर्ष:**  

        तुलसी विवाह हिंदू समाज का एक विशेष पर्व है, जो हर साल श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है। इस वर्ष यह शुभ अवसर 13 नवंबर को है। इस दिन को विशेष बनाने के लिए भक्तगण उपवास रखते हैं और तुलसी माता की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। यदि आप भी तुलसी विवाह का पर्व मनाने की योजना बना रहे हैं, तो इस पूजा विधि के अनुसार पूजा कर भगवान विष्णु और तुलसी माता का आशीर्वाद प्राप्त करें।

     इस प्रकार तुलसी विवाह एक अद्भुत पर्व है जो धार्मिक और सामाजिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।

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