गुरुवार, 31 अक्टूबर 2024

भाई दूज 2024: क्यों खास है ये पर्व और क्या है शुभ मुहूर्त?


         भारतीय संस्कृति में भाई दूज, जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं, भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व, भाई और बहन के रिश्ते को स्नेह और सुरक्षा का आशीर्वाद देने के लिए खास माना जाता है। भाईदूज 2024 के इस पर्व पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। इस साल यह पर्व 3 नवंबर को मनाया जाएगा, जिसका शुभ मुहूर्त प्रातः 6:35 से 8:20 बजे तक है। इस दौरान बहनें अपने भाइयों का तिलक करके उनकी खुशहाली की कामना करेंगी। 


 भाईदूज का पौराणिक महत्व और कथाएं

           भाईदूज 2024 का पर्व पौराणिक कथाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने आए थे। यमुनाजी ने उन्हें स्नेहपूर्वक भोजन कराया और उनकी लंबी उम्र की कामना की। यमराज इस आतिथ्य से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने वचन दिया कि जो बहन अपने भाई को इस दिन तिलक करेगी, उसके भाई की उम्र लंबी और जीवन सुखमय होगा। तभी से भाई दूज की यह परंपरा चली आ रही है, जिसमें भाई-बहन के रिश्ते में स्नेह और सम्मान का प्रतीक माना जाता है।

      भगवान श्रीकृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा की कथा भी इस पर्व से जुड़ी है। कहते हैं, नरकासुर का वध करने के बाद जब श्रीकृष्ण अपनी बहन से मिलने गए, तो सुभद्रा ने उनका स्वागत करते हुए तिलक किया, माला पहनाई और मिठाई खिलाई। इस दिन श्रीकृष्ण को सुभद्रा से आशीर्वाद प्राप्त हुआ, जो भाई दूज के महत्व को और भी बढ़ाता है।

 भाईदूज 2024 का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

       भाईदूज 2024 का शुभ मुहूर्त प्रातः 6:35 से 8:20 बजे तक है। इस समय में तिलक करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं, मिठाई खिलाती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहनों को उपहार देकर उनके प्रति स्नेह और कृतज्ञता प्रकट करते हैं। इस शुभ मुहूर्त के दौरान की गई पूजा का विशेष प्रभाव माना जाता है और इसे भाइयों के सुख-समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण बताया गया है।

 भाईदूज पर निभाई जाने वाली परंपराएं

         भाईदूज के दिन परिवार में एक उत्सव का माहौल होता है। बहनें विशेष व्यंजन तैयार करती हैं, जिनमें चावल, दाल और मिठाइयां खासतौर पर बनाई जाती हैं। भाई का तिलक कर, उसके लिए बनी मिठाइयां और व्यंजन परोसे जाते हैं। इसके बाद भाई अपनी बहन को आशीर्वाद और उपहार देकर इस रिश्ते में और मिठास घोलता है। यह परंपराएं भाई-बहन के बीच के स्नेह और प्रेम को दर्शाती हैं।

 भाईदूज का सामाजिक और पारिवारिक महत्व

    भाईदूज 2024 का पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक महत्व भी रखता है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य एकत्रित होते हैं, खुशियों का आदान-प्रदान करते हैं और अपने रिश्तों में मजबूती लाते हैं। यह पर्व हमें अपने परिवार के साथ समय बिताने और अपने रिश्तों को पुनः जीवित करने का अवसर देता है। भाईदूज का यह दिन भाई-बहन के संबंधों को मजबूत बनाने के साथ-साथ पूरे परिवार में एकता और प्रेम की भावना को भी बढ़ाता है।

भाईदूज: एक सांस्कृतिक और सामाजिक पर्व

     भाईदूज का पर्व भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जिसमें भाई-बहन के रिश्ते को सांस्कृतिक रूप से मान्यता दी जाती है। इस पर्व का उद्देश्य न केवल धार्मिक अनुष्ठान करना है, बल्कि समाज में पारिवारिक संबंधों को बनाए रखना और उनमें मिठास भरना भी है। पौराणिक कथाएं इसे और भी खास बनाती हैं, जिससे इसकी गहराई और महत्व को समझा जा सकता है।

 भाईदूज 2024: भाई-बहन के रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने का अवसर

      भाईदूज 2024 का पर्व हमें भाई-बहन के इस खास रिश्ते को सजीव रूप से महसूस करने का अवसर देता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाना और जीवनभर उनके रिश्ते में स्नेह और सम्मान बनाए रखना है। यह पर्व हमें हमारे रिश्तों की अहमियत को समझाता है और परिवार में एकता और प्रेम की भावना को सशक्त करता है।

           इस प्रकार, भाईदूज 2024 का पर्व हर साल पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है, जो एक खास तरीके से हमें हमारे रिश्तों की मिठास को अनुभव करने का अवसर देता है

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