मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024

**दिवाली के त्यौहार का महत्व Importance of Diwali festival

                                 🎆दिवाली के त्यौहार का महत्व Importance of Diwali festival🎆


                              भारत में महत्वपूर्ण त्यौहारो में से एक दिवाली त्यौहार है ,यह  त्यौहार सारे भारत में बड़े धूम धाम से मनाया जाता है   भारत में "दिवाली के त्यौहार का महत्व" केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक भी है। दिवाली का त्यौहार प्रकाश, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक है। यह त्यौहार पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।  दिवाली का त्यौहार मुख्य रूप से भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है, जब उन्होंने 14 वर्षों का वनवास समाप्त किया था। उस दिन अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था, और यही परंपरा आज भी हमारे जीवन में रोशनी और उल्लास भरती है।दिवाली से जुड़ी एक और पौराणिक कहानी हमें बताती है कि दिवाली से एक दिन पहले भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसलिए इसका पर्व नरक चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। इस दिन पटाखे फोड़कर दिवाली भी मनाई जाती है।

🔆 धार्मिक महत्व

                            दिवाली के त्यौहार का महत्व हिंदू धर्म में असीम है। यह दिन माता लक्ष्मी की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से, माना जाता है कि इसी दिन देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थीं और घरों में सुख-समृद्धि का वास होता है। इसलिए दिवाली पर हर घर को साफ-सुथरा और सजाया जाता है ताकि देवी लक्ष्मी का आगमन हो सके। धार्मिक रूप से "दिवाली के त्यौहार का महत्व" इतना बड़ा है कि इसे एक पुण्यदायक पर्व के रूप में देखा जाता है।

👉दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त (Diwali 2024 Shubh Muhurat)

इस बार दिवाली पर पूजन के लिए दो मुहूर्त मिलेंगे. 31 अक्टूबर को पहला शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में...

पहला मुहूर्त- शाम 5 बजकर 36 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट के बीच रहेगा, जो प्रदोष काल का समय है.

 दूसरा मुहूर्त- शाम 6 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा और ये पूजन वृषभ लग्न में होगा. इन दोनों मुहूर्त में आप लक्ष्मी-गणेश जी का पूजन कर सकते हैं. 


🔆सांस्कृतिक महत्व

                     भारत विविधता में एकता का देश है, और दिवाली का त्यौहार इस सांस्कृतिक विविधता को और भी खूबसूरती से प्रदर्शित करता है। दिवाली के त्यौहार का महत्व न केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए है, बल्कि जैन, सिख और बौद्ध धर्म के अनुयायी भी इसे अपने-अपने तरीके से मनाते हैं। जैन धर्म के अनुयायियों के लिए यह भगवान महावीर की मोक्ष प्राप्ति का दिन है, जबकि सिख धर्म में इसे बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है। सांस्कृतिक दृष्टि से देखा जाए तो दिवाली का त्यौहार हमारे समाज को एकजुटता का संदेश देता है।



 🔆सामाजिक महत्व

                          दिवाली के त्यौहार का महत्व समाज में भाईचारे और प्रेम को बढ़ावा देता है। इस दिन लोग अपने मित्रों और रिश्तेदारों के साथ समय बिताते हैं, उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं, और मिठाइयाँ बाँटते हैं। दिवाली के त्यौहार पर लोग नए कपड़े पहनते हैं और घरों में पकवान बनाते हैं, जिससे परिवार और दोस्तों के बीच स्नेह और सहयोग की भावना और मजबूत होती है। समाज में लोग इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों की मदद भी करते हैं, जो दिवाली के त्यौहार का एक और सकारात्मक पहलू है।

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 🔆आर्थिक महत्व

                    दिवाली का त्यौहार भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस समय लोग बड़े पैमाने पर खरीदारी करते हैं, नए सामानों की खरीद, सोने-चांदी, गहनों, कपड़ों और अन्य वस्तुओं की बिक्री बढ़ जाती है। दिवाली के त्यौहार का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह व्यापारियों और कारोबारियों के लिए भी साल का सबसे लाभकारी समय होता है। इससे देश की अर्थव्यवस्था में योगदान होता है और छोटे व्यापारियों को रोजगार के अवसर मिलते हैं।



🔆 पर्यावरणीय जागरूकता

                     आजकल लोग दिवाली के त्यौहार का महत्व समझते हुए पर्यावरण का भी ध्यान रखने लगे हैं। पटाखों के स्थान पर दीयों और मोमबत्तियों का प्रयोग करके प्रदूषण को कम किया जा रहा है। कई लोग आजकल पर्यावरण-अनुकूल तरीके से दिवाली मनाने पर जोर दे रहे हैं, ताकि आने वाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जा सके।


             अतः, "दिवाली के त्यौहार का महत्व" केवल एक त्यौहार के रूप में सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में एक नई ऊर्जा और नई आशा लेकर आता है। यह त्यौहार हमें यह सिखाता है कि चाहे कितनी भी अंधेरी रात हो, अंत में प्रकाश की ही जीत होती है।

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