गुरुवार, 7 नवंबर 2024

**गुरु नानक का जन्म कब हुआ था?**

 **गुरु नानक का जन्म कब हुआ था?**  

गुरु नानक का जन्म कब हुआ था, यह प्रश्न सिख धर्म और भारतीय इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है। गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक गाँव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है और इसे आज ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। गुरु नानक का जन्म कब हुआ था, यह न केवल सिख धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि सभी भारतीयों के लिए खास महत्व रखता है। इस लेख में हम गुरु नानक देव जी के जीवन, उनके संदेश और उनके योगदान पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।


Tulsi Vivah 2024: तुलसी विवाह कब है?

**Tulsi Vivah 2024: तुलसी विवाह कब  है?**

**परिचय: तुलसी विवाह का महत्व**


        भारत में हिंदू धर्म के अनेक पर्वों में *Tulsi Vivah 2024* का विशेष स्थान है। तुलसी के पौधे का धार्मिक महत्व बहुत पुराना है, और इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। तुलसी विवाह हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन तुलसी माता का विवाह भगवान शालिग्राम जी के साथ होता है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि *Tulsi Vivah 2024* के बाद से ही शादी का सिझन आरंभ होता है और यह समय विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

सोमवार, 4 नवंबर 2024

Guru Nanak Jayanti:2024**गुरु नानक जयंती: शिख धर्म के पहले गुरु की जयंती और प्रकाश पर्व**

 **गुरु नानक जयंती: शिख धर्म के पहले गुरु की जयंती और प्रकाश पर्व**


**गुरु नानक जयंती कब मनाई जाती है?**

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की जयंती मनाई जाती है। इस दिन को सिख समुदाय "गुरु पर्व" या "प्रकाश पर्व" के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाता है। इस साल 2024 में, गुरु नानक जयंती 15 नवंबर को शुक्रवार के दिन मनाई जा रही है, और यह गुरु नानक की 555वीं जयंती है। इस पावन अवसर पर, सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारों में जाकर सेवा करते हैं, भक्ति भाव से लंगर प्रसाद ग्रहण करते हैं और अपने गुरु को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। 

You tube पर सुनियेGuru Nanak Bhajan

रविवार, 3 नवंबर 2024

तुलसी विवाह 2024 की तिथि और समय

तुलसी विवाह 2024 की तिथि और समय

            तुलसी विवाह एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है। इस पर्व को विशेष रूप से भगवान विष्णु और देवी तुलसी के मिलन का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व ग्यारहवें चंद्र दिवस यानी प्रबोधिनी एकादशी से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप और देवी तुलसी का विवाह संपन्न करने की परंपरा है। आइए जानते हैं इस साल तुलसी विवाह कब है, इसका मुहूर्त क्या है, और पूजा विधि क्या है।


शनिवार, 2 नवंबर 2024

दिवाली 2024 : दिवाली के दीप कितने दिनों तक जलाए जाते हैं ?


  दिवाली 2024: दिवाली के दीप कितने दिनों तक जलाए जाते हैं?

        दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, भारत का एक ऐसा त्योहार है जिसमें दीप जलाने की परंपरा है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है और इस दिन घरों, मंदिरों और बाजारों में दीपक जलाकर खुशियां मनाई जाती हैं। लेकिन एक सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है: दिवाली के दीप कितने दिनों तक जलाए जाते हैं? इस लेख में हम इसी सवाल का जवाब देंगे, ताकि आप इस दिवाली का पूरा आनंद ले सकें और अपने दीपक सजाने का सही तरीका जान सकें।


शुक्रवार, 1 नवंबर 2024

Diwali 2024: Will Diwali Be Celebrated on October 31 or November 1? Check the Dates Across Different States

          👉   Diwali 2024: Will Diwali Be Celebrated on October 31 or November 1? Check the Dates Across Different States

  Preparations for Diwali, India’s much-anticipated festival of lights, are in full swing with immense excitement across the nation. However, there’s some confusion this year regarding the exact date, traditionally celebrated on the new moon day in the month of Kartik. While some believe Diwali should be observed on October 31, others favor November 1. Astrologers and scholars have weighed in, providing clarity based on Hindu calendars.

Bhai Dooj 2024: Date, Meaning & Mythology


                   Every year, on the second day (Dwitiya) of the Shukla Paksha in the month of Kartik, the festival of Bhai Dooj is celebrated with great enthusiasm across India. Known also as “Yama Dwitiya,” this festival signifies the strong bond between brothers and sisters. On this special day, sisters apply a sacred tilak on their brothers' foreheads and pray for their long life, prosperity, and happiness.


**Why is Bhai Dooj Celebrated?**

Have you ever wondered why Bhai Dooj is celebrated? Let’s explore the mythological stories and significance behind this festival.

                According to Hindu mythology, Bhai Dooj is associated with two main legends. One relates to Lord Krishna, the protector of the universe, who visited his sister Subhadra after defeating the demon Narakasura. Upon meeting, Subhadra welcomed Krishna with great affection by applying tilak, offering him a garland, and treating him to sweets. She also prayed for his long and prosperous life. This beautiful moment between the siblings is one of the reasons Bhai Dooj is celebrated.

**Mythological Significance of Yama Dwitiya**

    In Hindu scriptures, another story associated with Bhai Dooj involves Lord Yama, the God of Death, and his sister Yamuna. It is said that on the second day of Kartik Shukla Paksha, Yamuna invited her brother Yama to her home, where she warmly welcomed him, offered him food, and performed a tilak ritual. Pleased with his sister’s hospitality and love, Yama blessed her and promised that anyone who visits their sister on this day will have their wishes fulfilled and enjoy a prosperous and fortunate life. This momentous day marked the beginning of the Bhai Dooj tradition.

**Bhai Dooj Date and Time**

       According to the Hindu Panchang (calendar), the Dwitiya Tithi of Kartik Krishna Paksha begins on the evening of November 2, 2024, at 8:21 PM and ends on November 3, 2024. Therefore, this year’s Bhai Dooj festival will be celebrated on Sunday, November 3, 2024.  This special occasion reaffirms the bond of love, protection, and mutual respect between brothers and sisters. Celebrating Bhai Dooj not only strengthens this beautiful sibling relationship but also embodies the spirit of family ties in Indian culture.

Bhai Dooj Auspicious Timings (Bhai Dooj  Tilak Timings)

  1. Afternoon Muhurat - From 1:10 PM to 3:22 PM
  2. Brahma Muhurat - From 4:51 AM to 5:43 AM
  3. Vijay Muhurat - From 1:54 PM to 2:38 PM
  4. Godhuli Muhurat - From 5:34 PM to 6:00 PM

Performing the Bhai Dooj tilak during these timings is considered highly auspicious.

गुरुवार, 31 अक्टूबर 2024

भाई दूज 2024: क्यों खास है ये पर्व और क्या है शुभ मुहूर्त?


         भारतीय संस्कृति में भाई दूज, जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं, भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व, भाई और बहन के रिश्ते को स्नेह और सुरक्षा का आशीर्वाद देने के लिए खास माना जाता है। भाईदूज 2024 के इस पर्व पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। इस साल यह पर्व 3 नवंबर को मनाया जाएगा, जिसका शुभ मुहूर्त प्रातः 6:35 से 8:20 बजे तक है। इस दौरान बहनें अपने भाइयों का तिलक करके उनकी खुशहाली की कामना करेंगी। 


 भाईदूज का पौराणिक महत्व और कथाएं

           भाईदूज 2024 का पर्व पौराणिक कथाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने आए थे। यमुनाजी ने उन्हें स्नेहपूर्वक भोजन कराया और उनकी लंबी उम्र की कामना की। यमराज इस आतिथ्य से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने वचन दिया कि जो बहन अपने भाई को इस दिन तिलक करेगी, उसके भाई की उम्र लंबी और जीवन सुखमय होगा। तभी से भाई दूज की यह परंपरा चली आ रही है, जिसमें भाई-बहन के रिश्ते में स्नेह और सम्मान का प्रतीक माना जाता है।

      भगवान श्रीकृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा की कथा भी इस पर्व से जुड़ी है। कहते हैं, नरकासुर का वध करने के बाद जब श्रीकृष्ण अपनी बहन से मिलने गए, तो सुभद्रा ने उनका स्वागत करते हुए तिलक किया, माला पहनाई और मिठाई खिलाई। इस दिन श्रीकृष्ण को सुभद्रा से आशीर्वाद प्राप्त हुआ, जो भाई दूज के महत्व को और भी बढ़ाता है।

मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024

**दिवाली के त्यौहार का महत्व Importance of Diwali festival

                                 🎆दिवाली के त्यौहार का महत्व Importance of Diwali festival🎆


                              भारत में महत्वपूर्ण त्यौहारो में से एक दिवाली त्यौहार है ,यह  त्यौहार सारे भारत में बड़े धूम धाम से मनाया जाता है   भारत में "दिवाली के त्यौहार का महत्व" केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक भी है। दिवाली का त्यौहार प्रकाश, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक है। यह त्यौहार पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।  दिवाली का त्यौहार मुख्य रूप से भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है, जब उन्होंने 14 वर्षों का वनवास समाप्त किया था। उस दिन अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था, और यही परंपरा आज भी हमारे जीवन में रोशनी और उल्लास भरती है।दिवाली से जुड़ी एक और पौराणिक कहानी हमें बताती है कि दिवाली से एक दिन पहले भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसलिए इसका पर्व नरक चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। इस दिन पटाखे फोड़कर दिवाली भी मनाई जाती है।

सोमवार, 28 अक्टूबर 2024

**वसुबारस 2024: तिथि, पूजा विधि और महत्व | जानिए क्यों मनाई जाती है वसुबारस?**

 **वसुबारस 2024: तिथि, पूजा विधि और महत्व | जानिए क्यों मनाई जाती है वसुबारस?**


                         वसुबारस, जिसे गोवत्स द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है, महाराष्ट्र और भारत के कई अन्य हिस्सों में दीवाली के पर्व की शुरुआत का प्रतीक है। यह त्यौहार विशेष रूप से गोधन पूजा के लिए समर्पित है, जहां गौ माता और उनके बछड़े की पूजा कर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है। वसुबारस 2024 में कब मनाई जाएगी, इस दिन की पूजा विधि, और इसका धार्मिक महत्व क्या है, आइए विस्तार से जानते हैं। 

वसुबारस 2024 की तिथि | Vasubaras 2024 Ki Tithi

                          वसुबारस हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि विशेष होती है क्योंकि इससे ही दीवाली का शुभारंभ होता है। वसुबारस 2024 में 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन सुबह से ही लोग गौ माता और उनके बछड़े की पूजा की तैयारी शुरू कर देते हैं। वसुबारस का दिन अपने आप में पवित्र माना जाता है, और इस दिन गायों का विशेष सम्मान किया जाता है। वसुबारस 2024 की तिथि और समय का विशेष महत्व है, क्योंकि इसके जरिए हम अपनी परंपराओं को निभाते हैं और संस्कृति के करीब आते हैं।

वसु बारस 2024 : तिथि और समय

द्वादशी तिथि आरंभ - 28 अक्टूबर 2024 - सुबह 07:50 बजे
द्वादशी तिथि समाप्त - 29 अक्टूबर 2024 - सुबह 10:31 बजे

रविवार, 27 अक्टूबर 2024

Diwali 2024: दिवाली कि खास बात जो हमे अंधकार से उजाले कि तरफ ले जाती है

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                            Diwali 2024: दिवाली कि खास बात जो हमे अंधकार से उजाले कि तरफ ले जाती है 


                      **Diwali 2024** दिवाली भारतीयो का सबसे बडा  त्योहार है  ।  दिवाली का त्योहार भारत में मनाए जाने वाले सबसे बडा महत्वपूर्ण और प्रिय पर्वों में से एक है। हर साल यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस बार **Diwali 2024** 31 अक्तूबर को है, तब हम सभी माता लक्ष्मी, भगवान गणेश की पूजा करते हैं। यह दिन न केवल धार्मिक , खुशी, समृद्धि और एकता का भी प्रतीक है। दिवाली के दिन, घरों को लायटिंग झालर, फुलो के तोरन, दीयों और रंगोली से सजाया जाता है। इस पाचं दिनो मे रिती रिवाज अनुसार पुजा पाठ भी होता है । Diwali Festival 2024

    दिवाली पर मिठाई (Sweets for Diwali)    **Diwali 2024** के मौके पर, लोग एक-दूसरे के घर जाकर मिठाइयाँ बांटते हैं और शुभकामनाएँ देते हैं। यह परंपरा न केवल हमें एकजुट करती है तथा सामाजिक संबंधों को भी मजबूत बनाती है। 

शनिवार, 26 अक्टूबर 2024

धनतेरस एक महत्वपूर्ण त्योहार

                     धनतेरस एक महत्वपूर्ण त्योहार

👉धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो कर्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। यह त्योहार धन और समृद्धि की आशीर्वाद के लिए मनाया जाता है और लोग इस दिन लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं। यह दिन भारतीय जनता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और लोग इसे बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।



👉धनतेरस के इस महत्वपूर्ण दिन पर, लोग सोने और चांदी के नए आभूषण खरीदने की प्रेरणा लेते हैं। इस दिन धनतेरस के शुभ मौके पर लोग अपने परिवार और दोस्तों को उपहार देते हैं और उन्हें खुशियां बाँटते हैं। इससे न केवल परिवार के बंधन मजबूत होते हैं, बल्कि धनतेरस के त्योहार से लोगों के दिलों में भी प्यार और समर्पण की भावना बढ़ जाती है।


👉धनतेरस के इस विशेष दिन पर, लोग अपने घरों को सजाते हैं और उन्हें धनतेरस के रंगों से भर देते हैं। घर के दरवाजे पर रंगों की रंगोली बनाते हैं और घर के अंदर भी खुशियों का वातावरण बनाते हैं। इस दिन लोग अपने घर को धनतेरस के त्योहार के रूप में सजाते हैं और उसे आकर्षक बनाते हैं।


👉धनतेरस के इस शुभ अवसर पर, लोग अपने दिल की गहराइयों से भावुक होते हैं और अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने का आनंद लेते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे के साथ खुशियों को बाँटते हैं और समर्पण की भावना से भरे होते हैं। धनतेरस के इस दिन पर, लोग अपने प्रियजनों के साथ वक्त बिताकर खुशियों का एहसास करते हैं।


👉धनतेरस के इस खास दिन पर, लोग धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं और उन्हें धनतेरस के विशेष तोहफे प्रदान करते हैं। इस दिन लोग अपने घर को लक्ष्मी माता के आगमन के लिए सजाते हैं और उसे धन और समृद्धि से भर देते हैं। धनतेरस के इस पावन दिन पर, लोग अपने जीवन में खुशियों की बौछार महसूस करते हैं और धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी माता की कृपा का आशीर्वाद लेते हैं।


👉इस प्रकार, धनतेरस एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो लोगों को धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है। यह एक ऐसा दिन है जिसमें लोग अपने दिल की गहराइयों से जुड़े रहते हैं और अपने प्रियजनों के साथ खुशियों का आनंद लेते हैं। धनतेरस के इस महापर्व पर, हमें धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी माता की कृपा का आशीर्वाद लेना चाहिए और खुशियों का आनंद उचित रूप से मनाना चाहिए। धनतेरस के इस शुभ दिन की हार्दिक शुभकामनाएं।


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गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024

धनतेरस 2024: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और खरीदारी के टिप्स

 **धनतेरस 2024: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और खरीदारी के टिप्स**


          भारत में त्योहारों का महत्व बहुत बड़ा है, और धनतेरस का त्योहार उनमें से एक प्रमुख पर्व है। धनतेरस 2024 में, यह त्यौहार समृद्धि, सेहत और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। हर साल की तरह, इस साल भी लोग शुभ मुहूर्त का इंतजार करते हैं ताकि वे सही समय पर पूजा और खरीदारी कर सकें। आइए जानते हैं "धनतेरस 2024: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और खरीदारी के टिप्स" के बारे में विस्तार से।

मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024

धनत्रयोदशी : समृद्धि और स्वास्थ्य का पर्व

                          धनत्रयोदशी  : समृद्धि और स्वास्थ्य का पर्व


              धनत्रयोदशी  हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत करता है। इसे धनतेरस के नाम से भी जाना जाता है और यह पर्व मुख्य रूप से समृद्धि, स्वास्थ्य, और आयुर्वेद के आदर्शों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। **:धनत्रयोदशी समृद्धि और स्वास्थ्य का पर्व
                  धनत्रयोदशी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत करता है। इसे धनतेरस के नाम से भी जाना जाता है और यह पर्व मुख्य रूप से समृद्धि, स्वास्थ्य, और आयुर्वेद के आदर्शों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। **धनत्रयोदशी ** का महत्त्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह धन और स्वास्थ्य की देवी लक्ष्मी और धन्वंतरि की पूजा का दिन है, जो जीवन में धन और आरोग्यता का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।



रविवार, 6 अक्टूबर 2024

नवरात्रि: महत्व, उत्पत्ति, और सांस्कृतिक विश्लेषण

 नवरात्रि: महत्व, उत्पत्ति, और सांस्कृतिक विश्लेषण

**परिचय**  

       नवरात्रि एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो भारत और विश्व के विभिन्न हिस्सों में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है और हर साल दो बार (चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि) मनाया जाता है। नवरात्रि का अर्थ है "नौ रातें", जिनमें शक्ति, भक्ति, और धर्म का विशेष महत्व होता है। यह न केवल एक धार्मिक आयोजन है बल्कि भारतीय समाज और संस्कृति का एक जीवंत हिस्सा भी है।




शनिवार, 5 अक्टूबर 2024

नवरात्रि के नौ रंग का मतलब क्या होता है ?

   नवरात्रि के नौ रंग का मतलब क्या होता है ?

          नवरात्रि हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, खासकर गुजरात, महाराष्ट्र, और उत्तर भारत में। नवरात्रि के दौरान हर दिन मां दुर्गा के एक अलग रूप की पूजा की जाती है और हर दिन का एक विशेष रंग भी होता है, जिसे लोग विशेष तौर पर पहनते हैं। ये नऊ रंग न केवल धार्मिक महत्त्व रखते हैं बल्कि हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आस्था को भी बढ़ावा देते हैं।

       इस लेख में हम समझेंगे कि **नवरात्रि के नौ रंग का मतलब क्या होता है** और इन रंगों का हमारे जीवन में क्या प्रभाव होता है|

शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024

नवरात्रि 2024: एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव

 *नवरात्रि 2024: एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव**

**नवरात्रि** भारत के सबसे प्रतिष्ठित और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह नौ दिनों का उत्सव देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित होता है, जो शक्ति, साहस और भक्ति का प्रतीक हैं। हर साल यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है, और 2024 में यह उत्सव और भी विशेष है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, और इस समय को आत्मा की शुद्धि और आंतरिक शक्ति को जागृत करने का समय माना जाता है। 

इस लेख में हम न केवल **नवरात्रि** की शुभकामनाएँ देंगे, बल्कि इस पवित्र उत्सव के महत्व, इसकी परंपराओं और इससे जुड़ी सांस्कृतिक धरोहर के बारे में भी जानेंगे |


शनिवार, 28 सितंबर 2024

हैप्पी दशहरा 2024: अच्छाई की बुराई पर जीत का उत्सव**


 **हैप्पी दशहरा 2024: अच्छाई की बुराई पर जीत का उत्सव**


दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है और इसे पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। 2024 में, "हैप्पी दशहरा" का संदेश पहले से कहीं अधिक गहरा और प्रेरणादायक है, क्योंकि हम सभी कठिनाइयों से उभरते हुए नई उम्मीद और सकारात्मकता की ओर बढ़ रहे हैं। इस पर्व का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि यह हमें जीवन में सच्चाई, नैतिकता और साहस की शक्ति का एहसास कराता है|